वक्ता बोले एक प्रसंग जीवन का टर्निंग पाईंट हो सकता है इसलिए बच्चों को प्रतिदिन 5 मीनट समाजसेवियों के प्रेरक प्रंसग घर, स्कूलों, काॅलेजो में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए

अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम में सेवा में समर्पित महामानवो को सम्मान देने और उनके कार्यो से संसार को अवगत कराने हेतु प्रथम अंतर्राष्ट्रीय दो दिवसीय समाज सेवक सम्मेलन का शुभारंभ पदमश्री भिकूराम इदाते दादा, पद्मश्री उमा शंकर पाण्डे, पद्मश्री विद्या विंदू दीदी, बी.एस. शंकरानन्द, ऋषि भटनागर और सुधीर भाई गोयल ने देश विदेश से आए अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर दृष्टिबाधित भोली अग्रवाल द्वारा स्वागत गीत एवं बच्चों द्वारा गणेश वंदना की प्रस्तुति दी।

सम्मेलन के प्रथम दिन पद्मश्री विद्या विन्दू दीदी ने कहा कि सेवाधाम को शिव धाम कहना चाहिए, जिस तरह भगवान शिव पूरे विश्व के कल्याणकारी है सेवाधाम भी इसी भाव से काम कर रहा है, उन्होंने सुधीर भाई को भारत रत्न देने की मांग करते हुए सेवाधाम के कार्यों को सराहा।

पद्मश्री भिकूराम ईदाते ने कहा कि सेवाधाम आश्रम एक परिवार है जहां पीड़ित शोषित वर्ग सुधीर भाई को अपना पिता मानते है। जैसे दरवाजा खोलने से सूर्य प्रकाश अंदर आता है ठीक वैसे ही समाजसेवी सूर्य के प्रकाश जैसा होता है। पद्मश्री जलयौध्दा उमाशंकर पाण्डे ने कहा कि रामायण में भी कहा गया है कि सेवा से बड़ा कठिन कार्य ओर कोई नही है। सेवा कार्य आसान नही है। बी.एस. शंकरानन्द ने कहा कि कथनी और करनी के बीच का अंतर हटाना होगा। सेवा का कार्य करने वाले पूरे समाज को प्रकाश देते है।

ऋषि भटनागर ने सेवाधाम को मानव सेवा का तीर्थ बताते हुए कहा कि परिवार में समाजसेवा के बीज जन्म से ही बोना चाहिए। सुधीर भाई ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सेवाधाम की स्थापना में आई कठिनाईयों का जिक्र करते हुए कहा कि समाजसेवा का नाम आते ही लोग कदम पीछे हटा लेते है। 13 वर्ष की उम्र से समाजसेवा की शरूआत करने वाले सुधीर भाई ने यह भी कहा कि आज डाॅ. इंजीनियर, सफल उद्यमी, व्यापारी सेना का जवान सब बनना चाहते है लेकिन समाजसेवा के क्षैत्र में काम करना नही चाहते। तन को नमाना, मन को मारना और धन को गवाना पड़ता है।

द्वितीय सत्र को साफ्टवेयर टीसीएस के सलाहकार अनुराध कृष्णा ने संचालित किया। इस सत्र में देश भर से आए शिक्षाविदों और पदमश्री पुरस्कार प्राप्त हस्तियों ने आईएएस और आपीएस अकादमी की तरह ही भारतीय समाजसेवा सर्विस भारत सरकार से शुरू करने की मांग करते हुए कहा कि आज देश में समाजसेवा के क्षैत्र में कार्य करने वालो की उतनी ही जरूरत है जितनी प्रशासनिक क्षैत्र में काम करने वालो की है। सत्र में मौजूद पद्मश्री भिकू राम इदाते, भरत भाई पटनी, डाॅ. संदीप संचेती, डाॅ. दिप्ती कोटस्थाने, शेखर सान्याल, डाॅ. अजय राणा, डाॅ. कमलेश रघुवंशी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बच्चों के कोर्स में शुरू से ही समाजसेवा का अध्ययन कराना चाहिए। हर बच्चे को नर्सिंग ट्रेनिंग और समाजसेवा की टेªनिंग कम से कम 15 दिन की दी जाना चाहिए। इस टेªनिंग के बगैर डिग्री नही दी जाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि जब तक वेदना का दृश्य नही देखेंगे तब तक संवेदना आ ही नही सकती, इसलिए बच्चों को सेवाधाम जैसे आश्रमो में भेजना चाहिए ताकि वह समाजसेवा का कार्य कर सके।

सम्मेलन के तृतीय सत्र में देश के शीर्ष संस्थाओं सलाहकारों और उच्च पदों पर आसीन वक्ताओं ने समाजसेवा के क्षैत्र में अकादमिक संस्थाओं की भूमिका पर खुल कर चर्चा की और अपने विचारों के माध्यम से बताया कि जन्म से ही कैसे बच्चों में समाजसेवा के संस्कारों का बीजारोपण किया जावे।

बी एस शंकरानन्द ने कहा कि समाजसेवा से आध्यात्मिक सुख मिलता है। मनुष्य का जीवन परहित के लिए है जो परहीत नही करता वह पाप करता है। एक प्रसंग भी जीवन का टर्निंग पाईंट बन जाता है इसलिए स्कूलों में समाजसेवा के प्रसंगों को प्रतिदिन पांच मीनट पढ़ाया जाना चाहिए। डाॅ. संदीप संचेती ने कहा कि आज बच्चे बड़े पैकेज के लिए पढ़ाई कर रहे है। उनके अभिभावक बच्चों को समाजसेवा के क्षैत्र में नही देना चाहते जो बच्चा परिवार की सेवा नही कर सकता वह समाजसेवा कैसे करेगा इसलिए बिल गेट्स की तरह आत्मसुख के लिए दान देने की आदत बच्चों में डालना चाहिए। डायरेक्टर जनरल अमीटी प्रो. अजय राणा ने कहा कि अपनी पसंद और प्रोफेशनल जिन्दगी को कभी लिंक नही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मा-बाप का कोई रिटेक नही, धन दौलत, अमीरी गरीबी सब दुबारा मिल जाएगी किन्तु मा-बाप दौबारा नही मिलंेंगे इसलिए समाजसेवा की शुरूआत माता-पिता की सेवा से ही शुरू हो जाती है।

डाॅ. कमलेश रघुवंशी ने कहा कि आज बच्चे स्टार्टअप के माध्यम से समाज सेवा कर रहे है। डाॅ. अखिलेश पाण्डे ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में बच्चों को ग्रामीण क्षैत्रों में भेजकर समाजसेवा के प्रोजेक्ट दिए जा रहे है। इस सत्र को संचालित करते हुए शेखर सन्याल डायरेक्टर आईईटी ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया कि सेवा कार्य के लिए स्कूल में ही शिक्षा देना जरूरी है। जो सेवा कार्य-सामाजिक कार्य में लगे है उनके उदाहरण बच्चों को बताना होंगे जिससे वह प्रेरणा लेकर समाजसेवा को अपना कर्तव्य माने ,हमें शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा।

समापन सत्र में धार्मिक संस्थाऐं कैसे सामाजिक कार्य में अपनी भूमिका का निर्वाहन कर सकती है इस विषय पर मंथन हुआ। सत्र को आनन्द गौड़ ने संचालित किया। अनाम प्रेम मुम्बई, महर्षि दत्त राजन, समाजसेवी मेहूल संघवी ने अपने विचार रखे और बताया कि धार्मिक संस्थाओं की समाजसेवा में क्या भूमिका है। प्रो. आनन्द गौड़ ने कहा कि समाजसेवा में हर दिन परीक्षा होती है, अनाम प्रेम मुम्बई के सदस्य हीमा सतीश नगरे ने कहा कि प्रेम की एक बूंद से समाज आनन्दित हो सकता है। समाजसेवी मैहूल संघवी ने बताया कि समाजसेवा से मन तृप्त होता है और इसके लिए उम्र का कोई बंधन नही है आत्मकल्याण के लिए सामाजिक कार्य करना चाहिए। सम्मेलन के अंत में आभार प्रकट करते हुए सुधीर भाई ने कहा कि धर्माचार्यों को अपने प्रवचन में अपने शिष्यों को समाजसेवा के लिए प्रेरित करना चाहिए लेकिन अज्ञात डर के कारण धर्माचार्य समाजसेवा के लिए अपने प्रवचन में एक शब्द बोलने से भी परहेज करते है। सम्पूर्ण सत्रों का मंच संचालन श्रीमती अनिता सचिन गोयल ने किया। इस अवसर पर आश्रम के विशेष बच्चों द्वारा मलखम्ब की प्रस्तुति दी जिसे सभी अतिथियों द्वारा सराहा गया।

आज मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल सहित देश विदेश की अनेक हस्तियां शामिल होगी, सुधीर भाई ने बताया कि प्रथम अंतर्राष्ट्रीय समाज सेवक सम्मेलन के द्वितीय सत्र में डीएनटी फाउण्डेशन की शुरूआत आज 26 नवम्बर को होगी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल शिरकत करेंगे। इस अवसर पर अनेक पद्मश्री प्राप्त समाजसेवक, शिक्षाविद और धर्माचार्य मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षैत्रों में कार्यरत समाजसेवको का सम्मान भी होगा।