डाॅ. सुब्बाराज वी भारत माता के सच्चे सपूत थे जिन्होंने सामाजिक समरसता के साथ राष्ट्र में लाखों युवाओं के चरित्र निर्माण की दिशा में अद्भूत कार्य किया है।

सुधीर भाई गोयल ‘भाई जी’
संस्थापक – संचालक, ‘अंकितग्राम’ सेवाधाम आश्रम (उज्जैन)

प्रसिद्ध गांधीवादी एवं लाखों युवाओं के मार्गदर्शक डाॅ. एस.एन. सुब्बाराव जी के 95वें जन्मदिन पर महात्मा गांधी द्वारा सन् 1932 में स्थापित हरिजन सेवक संघ, दिल्ली में संघ के केन्द्रिय समिति सदस्य के रूप में ‘अंकित ग्राम’, सेवाधाम आश्रम संस्थापक सुधीर भाई ‘‘भाईजी‘‘ ने पहुंचकर सुब्बाराव जी के चित्र पर सूतांजलि अर्पित की।  भाई जी ने प्रातःकाल संघ के राष्ट्रीय सचिव श्री संजय राय एवं श्री अजय पाण्डे, संयुक्त सचिव उ.प्र. शासन के साथ श्रमदान किया और इस अवसर पर भारत के रेडक्रास सोसयटी मुख्यालय में आयोजित रक्तदान शिविर का भी अवलोकन किया।

हरिजन सेवक संघ के परिसर में आयोजित भव्य कार्यक्रम में अतिथि के रूप में सुधीर भाई के साथ जे.एन.यु. प्रोफेसर श्री आनन्द, मानवतावादी आंदोलन के अध्यक्ष श्री सुधीर, हरिजन सेवक संघ के दिल्ली अध्यक्ष श्री भगवान शर्मा, गांधी निधी सचिव श्री संजय सिंह, राष्ट्रीय युवा योजना के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री गुरशरण सिद्दु, एवं श्री सुरेश राठी, रोहतक, श्री ज्ञानेन्द्र रावत, जैसलमेर आदि ने शांति दूत डाॅ. एस. एन. सुब्बाराव जी द्वारा लिखित महात्मा गांधी की जीवन गाथा का सुधीर भाई के साथ भारत राष्ट्र के विभिन्न राज्यों से आए वरिष्ठ गांधीवादी एवं अनेक संस्थाओं के विशिष्ठ गांधीयन की उपस्थिति में विमोचन किया।

सुधीर भाई ने कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए डाॅ. सुब्बाराजवी के राष्ट्र के प्रति अवदान को चिन्हित किया और कहा कि वे भारत माता के सच्चे सपूत थे जिन्होंने सामाजिक समरसता के साथ राष्ट्र में लाखों युवाओं के चरित्र निर्माण की दिशा में अद्भूत कार्य किया है। इस अवसर पर श्री टिल्लन रिछारिया, दिल्ली एवं श्री लोकेश शर्मा, ऋषिकेश सहित अनेक गांधीवादी एवं समाजसेवी उपस्थित रहे।

अंकित ग्राम’, सेवाधाम आश्रम संस्थापक सुधीर भाई के शब्दों में श्री सुब्बाराव जी

भारत के एक ऐसे महापुरुष जो जीवंत गांधी के रूप में विश्व में जाने जाते थे और जाने जाएंगे ऐसे कर्म योगी जो हमेशा कहते थे ,‘‘सर्वधर्म मम भाव ‘‘ और इसी को जीवन का आधार बनाकर प्रेम ,आत्मीयता, सद्भाव का मूल मंत्र लाखो युवाओं तक पहुंचाकर ‘‘राष्ट्रीय युवा योजना’’ के संस्थापक के रूप में देश विदेश में हजारों राष्ट्रीय अंतरर्राष्ट्रीय शिविरो का अजोजन कर युवाओं में राष्ट्र निर्माण के साथ भ्रष्टाचार, व्यसन मुक्ति और चरित्र निर्माण का अद्भुत और अनुकरणीय कार्य किया।

आपका सम्पूर्ण जीवन स्वावलंबी रहा और वे अपने सभी निजी कार्य अपने हाथ से, अपने श्रम से करते थे।

श्री सुब्बाराव जी जब भी उज्जैन आते तो ‘अंकितग्राम’ सेवाधाम आश्रम परिवार के बीच रुकते और यात्राओं में जब मैं (सुधीर भाई) उनके साथ होता मुझे उनके संस्मरणों और जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता, जो मेरे जीवन का अमूल्य उपहार और धरोहर है।

श्री सुब्बाराव जी का जीवन दर्शन सबके लिए प्रेरणा का कार्य करता है जो उनसे जुड़े या उनको जानते है।

प्रसिद्ध गांधीवादी और राष्ट्र सेवक श्री सुब्बाराव जी की राष्ट्रीय विचारधारा का दर्शन उनके द्वारा रचित और निर्मित ‘भारत की संतान’ सांस्कृतिक नाटिका के माध्यम से 18 भाषाओं में सामाजिक समरसता का अनुपम संदेश है, जिसे अनेक बार ‘‘अंकित ग्राम’’ सेवाधाम आश्रम के विशेष बच्चो ने भी भाईजी के नेतृत्व में अभिनीत कर उन्हें अभिमंचित किया और जिसे उनके द्वारा काफी सराहा गया।

श्रद्धेय श्री सुब्बाराव जी का सम्मान सभी राजनीतिक दल के नेता कार्यकर्ता बड़ी श्रद्धा के साथ करते थे और वे दलगत राजनीति से परे थे।  उनकी ऊंचाइयों का अनुमान वे ही लगा सकते है जिन्हे उनका सानिध्य प्राप्त हुआ हो और उनमें मुझ जैसा (सुधीर भाई) अदना सा सेवक भी शामिल है।

श्री सुब्बाराव जी सच्चे भारत रत्न थे जो पद और प्रतिष्ठा से हमेशा दूर रहे अन्यथा भारत राष्ट्र के सर्वोच्च पद को भी शुशोभित कर सकते थे।  उनका सम्पूर्ण जीवन मर्यादाओं की परिधि में बंधा हुआ था और वे वास्तविक ब्रह्म निष्ट और ब्रह्मचारी थे जिसका तेज उनके व्यक्तित्व में देखा जा सकता था।

मुझे 40 वर्षो तक भाईजी श्री सुब्बाराव जी का प्रेम, आत्मीयता और विश्वास मिला।  मैं उन भाग्यशालियों में हूं जिसे भाईजी श्री सुब्बाराव जी के साथ अनेक बार प्रवास का अवसर मिला, और इस दौरान खूब लंबी बातचीत होती थी, उनसे बहुत सारे संस्कार और जीवन निर्माण के टिप्स मिले जो आज नित्य जीवन प्रणाली का मार्गदर्शन कर रहे है।  अभी भी बहुत सारी कमियां हैं जिन्हे ठीक करने का प्रयत्न पूरी निष्ठा से कर रहा हूं।

भाई जी श्री सुब्बाराव जी भारत माँ के सच्चे सपूत थे और वे सच्चे भारतीय थे।  भारत माँ उनसे और वे भारत माँ को प्यार करते थे तभी तो भारत के माननीय प्रथम राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री से लेकर वर्तमान की राष्ट्र विभूतियों और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के मन में भी उनके लिए अनन्य श्रद्धा भाव है।