अंकितग्राम, सेवाधाम के निराश्रित-दिव्यांग बच्चों को नवजीवन देने वाली 300 बच्चों की माँ कांता भाभी एवं
सैकड़ों माताओं की सेवा में रत सुधीर भाई गोयल ‘‘भाईजी’’

कांता भाभी का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार में हुआ। पाँच भाई और पाँच बहनों में सबसे छोटी होने से सबकी लाड़ली थी। जन्म के बाद परिवार का व्यवसाय खूब फला-बढ़ा, इन्दौर आने तक महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में पोद्दार ग्रुप आॅफ इण्डस्ट्रीज के रूप में पहचान बनायी। कांताजी ने कभी यह नही सोचा था कि उनका विवाह एक उद्योगपति की जगह समाजसेवी से होगा और बच्चों के साथ रहना पड़ेगा शहर से दूर गांव में। सुधीर भाई के साथ 1983 में विवाह बंधन में बंधने के बाद अनेक पारिवारिक और निजी समस्याओं का सामना करना पड़ा अनेक बार कई विषयों पर मतभेद हुए लेकिन धीरे-धीरे मानस को तैयार किया, पति के कार्य में सहयोग करने लगी, अपना धन और अनेक गहने भी सेवा को समर्पित किए। इस बीच 1991 में एकमात्र पुत्र अंकित के आकस्मिक निधन से निश्चित ही मन में उथल-पुथल हुई लेकिन कुछ ही समय में अपने आपको सम्हाला और जुट गई, समर्पित हो गयी मानव सेवा को। सेवाधाम आश्रम के बच्चों से लेकर बुढ़े निराश्रित- मनोरोगियों-दिव्यांगों की सेवा के साथ-साथ, बड़े-बड़े भवनों में आधुनिक सुख सुविधाओं के साथ रहने वाली कांताजी उज्जैन में रहकर अपनी दोनों बेटियों मोनिका और गोरी के साथ पति के सेवा कार्यों में हाथ बटा रही थी कि इकलौती ननद अमिता की हत्या और ससुर सत्यनारायणजी की असामायिक मौत ने फिर से मनःस्थिति खराब की और कुछ ही समय बाद सास सत्यवतीदेवी ने भी बिस्तर पकड़ लिया, घर में अपनी दोनों देवरानियों के साथ सासू माँ की सेवा और सेवाधाम की सेवा जीवन की दिनचर्या बन गयी। इसके साथ बेटियों की शिक्षा एवं लालन-पालन की जिम्मेदारी सम्हालना पड़ी। विपरित परिस्थितियों में भी पति का साथ नही छोड़ा और शहर से गांव की ओर चल पड़ी। आज तीन दशक से पति सुधीर भाई और दोनों बेटियों के साथ ग्राम अम्बोदिया में अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम में रहकर अल्प सुविधाओं में जीवन बसर कर रही है और यहां रहने वाले निराश्रित, दिव्यांग, अभावग्रस्त बच्चों की माँ के रूप में अपने दायित्व का निर्वाह कर रही है, सूर्योदय पर अग्निहोत्र से दिनचर्या प्रारंभ करती है और यहां आने वाले प्रत्येक दिव्यांग, निराश्रित बच्चों से लेकर विक्षिप्त माताओं के गर्भस्थ शिशुओं के साथ ही मनोरोगी स्त्री-पुरूषों को भी माँ के समान प्रेम भरा स्नेह प्रदान करते समय कभी यह बात मन में नही लाती है कि ये उनके अपने बच्चे नही है। कांता भाभी के साथ ही अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम संस्थापक सुधीर भाई आश्रम में निवासरत सैकड़ों माताओं जिन्हें किन्ही परिस्थितियों में त्याग दिया गया उनका पुत्र बन सेवा कर रहे है और यहां यह उल्लेखनीय है कि इस आश्रम में निवासरत प्रत्येक वृद्ध माता उन्हें अपने पुत्र ज्यादा मानकर लाड़-दुलार करती है, दोनों बेटियाँ मोनिका दीदी, गोरी दीदी भी सबकी अपनी माँ के समान ही भूमिका का निर्वाह कर रही है। कांता भाभी अपने बच्चों के समान अभावग्रस्त बच्चों के जीवन में सुधार लाने को डाँट-फटकार से भी नही चुकती। सेवाधाम में अनेक निराश्रित-मरणासन्न बच्चे आते है जिनका पूरा जीवन दूसरों की सेवा पर ही निर्भर है, जिनकी जिम्मेदारी कांता भाभी पर है। सेवाधाम आश्रम परिवार अपनी 300 बच्चों की माँ को मातृ दिवस पर उनकी समर्पित, निष्काम सेवा को प्रणाम करता हैं।

आपको बता दें कि अनेक बच्चिया पूर्व में एक दिन दो दिन या एक माह की आश्रम आई थी कांता भाभी के प्यार, दुलारा से आज वह बड़ी होकर सुधीर भाई के मार्गदर्शन में शिक्षित होते हुए विविध प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है एवं आश्रम की सैकड़ों बेटियाँ अपनी माँ कांता के साथ दैनिक दिनचर्या एवं आश्रम के प्रबंधन में हाथ बंटा रही है। आज उन बेटियों को भी गर्व है कि हम कांता गोयल एवं सुधीर भाई की बेटियाँ है, उनसे जब भी उनका नाम पूछा जाता है तो वह गर्व से अवन्तिका जैसी सभी बेटियाँ सुधीर भाई गोयल बताती है। आज वह समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सम्मान जनक जीवन व्यतीत कर रही है

'अंकितग्राम' सेवाधाम आश्रम उज्‍जैन - गतिविधियॉं

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