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मेरी आत्मीय बहन और अनाम प्रेमी कीर्ति ताई के आकस्मिक निधन का समाचार भाई सतीश नगरेजी से आज सुबह मिला। उम्मीद नही कर सकता था कि कभी ऐसा समाचार बहन कीर्ति ताई के बारे में मिलेगा, मैं अचंभित था और नगरेजी की बात पर यकीन भी नही हो रहा था।

वे मुझसे, मेरे परिवार से, और ‘अंकितग्राम’ सेवाधाम आश्रम परिवार से बहुत स्नेह रखती थी। वर्ष में अनेक बार उनका सेवाधाम में आना होता था और उनके साथ आर्किटेक्ट प्रार्थना शिन्दे भी सहयोगी के रूप में होती थी। उनका सदा सबके साथ एकात्म वाला स्वभाव और हमेशा उनका हंसमुख, मुस्कुराता चेहरा होता था। मस्तक पर बड़ी गोल लाल बिन्दी सबको अपनी ओर आकर्षित करती थी। कीर्ति ताई का यूं एकाएक चले जाना हम सबके के लिए और अनाम प्रेमियों के लिए बहुत बड़ा आघात है।

श्रद्धेय दादाजी से भी दूरभाष से चर्चा हुई और वे भी इस समाचार से आहत थे। कीर्ति ताई अनेक बार ‘अंकितग्राम’, सेवाधाम आश्रम आने के समय अपने हाथ से बना स्वादिष्ट केक बनाकर लाती थी और दादाजी के जन्मदिन पर उनके हाथों से बना केक सबको खूब भाता था। निश्चित ही उनकी सद्गति हुई की वे अचानक बिना किसी को कष्ट दिए परमात्मा के लोक की ओर गमन कर गई। ऐसी बहन की कमी हमेशा खलती रहेगी।

उनकी सहयोगी प्रार्थना से मालूम पड़ा कि उन्होंने मृत्यु पूर्व ही अपनी समस्त तैयारी कर ली थी। सफेद चादर, साड़ी, बिंदी आदि इस बात का संकेत देती है कि उन्हें मृत्यु पूर्व आभास हो चुका था और यह किसी पुण्यात्मा को ही होता है। सेवाधाम आश्रम परिवार हमेशा अपनी इस बहन को याद करता रहेगा। उनके आत्मीय स्नेह, प्रेम को कभी भुलाया नही जा सकता।

‘अंकितग्राम’, सेवाधाम आश्रम के साथ ही ये मेरी व्यक्तिगत रूप से भी बहुत बड़ी क्षति है, मेरा परिवार भी काफी आहत है। हम सदा उनके आने की प्रतिक्षा करते थे। अभी तीन चार दिन हो चुके है मैं इस सदमें से उभर नही पा रहा हूं, मुझे उम्मीद है अनाम प्रेम को ऐसे साथी की कमी हमेशा खलती रहेगी।

।। ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः ।।

आपका अपना आत्मीय भाई
(सुधीर भाई गोयल)

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