राहगीरी 2025 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादवजी ने आश्रम की बेटी परी को कंधे…
मुम्बई की चकाचैंध एवं सितारों की नगरी को छोड़कर
उज्जैन की बेटी फेमिना मिस इंडिया निकिता पोरवाल नववर्ष में पहुँची सेवाधाम
आश्रम के दिव्यांग बहु दिव्यांग बच्चों, युवाओं और बुजूर्गों से आशीर्वाद लेकर
नववर्ष की खुशियाँ बांटी
नववर्ष की पूर्व संध्या पर मुम्बई की चकाचैंध एवं सितारों की नगरी को छोड़कर उज्जैन के मानव सेवातीर्थ अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम में 4 घण्टे से अधिक समय तक आश्रम का अवलोकन आश्रम संस्थापक सुधीर भाई के साथ कर यहां निवासरत 1100 से अधिक दिव्यांग बहु दिव्यांग बच्चों, युवाओं और बुजूर्गो से आत्मीय मुलाकात कर गौ सेवा की। आश्रम के 80 वर्षीय बुजुर्ग से लता मंगेशकर, मो. रफी एवं किशोर कुमार के गीत सुन उन्होंने अपनी शाॅल भेंट की। दृष्टिबाधित भोली अग्रवाल से भजन एवं गीत सुनकर सभी वरिष्ठजनों से आर्शीवाद प्राप्त किया। दिव्यांगजन भी उन्हें अपने बीच पाकर बहुत प्रसन्न हुए एवं फोटो खिंचवाए। आश्रम संस्थापक सुधीर भाई ने बताया कि 16 अक्टूबर 2024 को फेमिना मिस इंडिया 2024 निकिता पोरवाल ने जीतकर उज्जैन का नाम रोशन किया एवं उन्होंने मॉडलिंग के साथ-साथ अभिनय भी किया है। उन्होंने नववर्ष की पूर्व संध्या पर अनूठी मिसाल पेश करते हुए अपने पिता अशोक पोरवाल के साथ सेवाधाम आने का स्वयं ने निश्चय किया। मुख्य द्वार पर आश्रम विशेष बेटो एवं बेटियों ने लेझिम-पाउली एवं लाठी काठी का प्रदर्शन किया। सद्गुरू स्वाध्याय मंदिर में सद्गुरू रणछोड़दासजी महाराज के दर्शन किए।
नीकिता पोरवाल ने कहा कि सपनो की नगरी ने मुझे बहुत कुछ दिया किन्तु नववर्ष पर मैं वहां नही रहना चाहती थी मेरी यही इच्छा थी कि मैं अपनी उज्जैन नगरी में बाबा महाकाल के दर्शन के साथ उज्जैन के मानव सेवा तीर्थ अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम में रहने वाले जीवन्त दिव्यात्माओं के दर्शन करू। मैं अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम आकर बहुत भावुक हो गई और परम पिता परमेश्वर एवं सुधीर भाई का धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे यहां बुलाया और इतने खुबसूरत लोगो से मिलवाया। मैं आज भले ही भारत संुदरी हूं और मेरे सिर पर ताज है पर मेरा यकिन मानिए आपमें से हर एक बच्ची, हरेक मेरी माँ उनको किसी ताज की जरूरत है ही नही वह अपने आप में विश्व सुदंरी है। मेरा यह मानना था कि मैं 12 पास करूंगी तो खुशी मिलेगी, काॅलेज अच्छा मिलेगा तो मुझे खुशी मिलेगी, फिर लगा कि जाॅब अच्छा मिलेगा तो खुशी मिलेगी, फिर लगा कि मिस इण्डिया बनी तो खुशी मिलेगी, अब लगता था कि मिस वल्र्ड बनूंगी तब खुशी मिलेगी लेकिन नववर्ष की पूर्व संध्या पर जब मैं आप लोगो से मिली तो मेरा सौभाग्य है और नववर्ष में मुझे आप सभी लोगो से सिखने को मिला कि खुशी बाहर कही नही होती वह हम सब के अन्दर ही होती है हमें कहीं ढूंढने की जरूरत नही है।
आप सब की प्यारी से मुस्कान और खुशी देखकर मुझे आप बहुत खुशी मिल रही है। मैं आपका यही प्यार और आर्शीवाद यूंही बनाए रखिएगा जब मैं प्रतिनिधित्व करने जाउंगी भारत। आज मुझे यह सिखने को मिला कि हम शिक्षा से नही संस्कार से बड़े होते है। मैं हमेशा आश्रम से जुड़ी रहूंगी। आश्रम परिवार मेरा ही परिवार है। इस अवसर पर आश्रम के विशेष बच्चों ने मालवी पगड़ी, दुपट्टा से सम्मान कर विशेष बच्चों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प भेंट की।