‘अंकितग्राम’, सेवाधाम आश्रम, उज्जैन में भगवान की ऐसी कृपा होगी यह कल्पना नही थी वरन…
‘अंकितग्राम’, सेवाधाम आश्रम, उज्जैन में भगवान की ऐसी कृपा होगी यह कल्पना नही थी वरन कुछ दिनों पूर्व डिप्रेशन की शिकार महिला ज्योति के पिता के साथ पति लखनउ से दोनों स्वयं उसे लेने सेवाधाम आएंगे। आश्रम संस्थापक सुधीर भाई गोयल ‘‘भाईजी’’ ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व दो महिलाऐं डिप्रेशन की शिकार तराना क्षैत्र में भटक रही थी उनसे पूछताछ की तो वह अच्छे घरों की लग रही थी उसमें एक का नाम ज्योति काम्बले था वह भोपाल की रहने वाली थी, ज्योति को वन स्टाॅप सेंटर उज्जैन से स्थानांतरित किया गया था। अंकितग्राम, सेवाधाम परिसर में डिडवानिया (रतनलाल) अवेदना केन्द्र में यहां निवासरत बेटियों एवं युवतियों के साथ रहते हुए आश्रम के स्वच्छ वातावरण में रहते हुए उसके मानसिक स्वास्थ में परिवर्तन आया और सुधीर भाई ने परिवार से काउंसलिंग एवं बातचीत कर उन्हें समझाईश प्रदान की तब भगवान की असीम कृपा से ज्योति को अपना घर परिवार मिला। ज्योति की एक 9 वर्ष की बेटी भी है। लखनउ से आए पति को बहुत अच्छा लगा कि उनकी पत्नि को ससम्मान आश्रम में रखा गया एवं उसकी चिकित्सकीय देखभाल की एवं ज्योति ने वादा किया कि अब वह कभी भी घर से नही जाउंगी।
सुधीर भाई का कहना है …
आश्रम ने ऐसी अनगिनत पीड़ित शोषित एवं मनोविक्षप्त के साथ गर्भस्थ माताओं को
अपनाया और परिवार में पुनर्वास किया
सुधीर भाई ने बताया कि मुझे बच्चों, युवाओं और वृद्वजनों के साथ कार्य करते हुए अनेक दशक हो गए है और हमारे देश में स्थित अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम परिवार जैसी संस्था के माध्यम से सभी आयु वर्ग की सेवा का कार्य हा रहा है। माता पिता ने जिन्हें मान मन्नतों से पाला-पौसा वे ही गलत संगतों एवं आदतों के कारण डिप्रेशन में चले जाकर परिवार से स्वतः ही चले जाते है और असहाय स्थिति में में अपनी रूठी किस्मत को मनाने के लिए सेवाधाम जैसे इसी कार्य को समर्पित आश्रय गृहों का सहारा लेते है। सेवाधाम आश्रम विगत 36 वर्षों से समाज से बेसहारा-बेघर-निराश्रित-मरणासन्न-समाज और परिवार से बहिष्कृत-तिरस्कृत बुजुर्गों की सेवा का कार्य कर रहा है जिन्हें आश्रम के 950 से सदस्यीय परिवार में मान सम्मान के साथ जीवन यापन का अवसर प्रदान किया जा रहा है।