सेवाधाम के उर्जा केन्द्र अंकित के 33वें पुण्य स्मरण पर प्रार्थना के साथ पुष्पांजलि प्रदान…
On the morning of June 5, 2015, three young lives were forever changed when they arrived at AnkitGram Sewadham Ashram, a sanctuary for vulnerable children. Sumit, aged 10, Badal, aged 6, and Deepali, aged just 3, were brought to the ashram under the orders of the Bal Kalyan Samiti and the intervention of local police. Their story, which had been highlighted in the newspaper, revealed a harrowing past marked by tragedy and neglect.
The children had been found begging on the streets, their plight a stark reminder of the harsh realities faced by many underprivileged children. According to their accounts, their mother had tragically passed away due to violence inflicted by their father, who was heavily addicted and lacked moral character. This traumatic background left the children in a state of extreme vulnerability.
Upon their arrival at AnkitGram Sewadham Ashram, they were welcomed with compassion and care. Under the meticulous supervision of Sudhir Bhai Ji, Kanta Ji, Gori, and Monika, the children began a new chapter in their lives. The staff at the ashram also played a crucial role, notably, Yamuna Ji who took care of Deepali, the youngest and only girl among the three.
The ashram’s holistic approach to nurturing these children went beyond mere shelter. They were provided with education, engaged in sports, and involved in cultural activities. The ashram’s programs included yoga, handicraft, and malkhamb, ensuring a well-rounded development for each child.
Sumit, the eldest, took on a significant role within the ashram, sharing IT responsibilities and documenting the ashram’s events through photos and videos. He also travels alongside Sudhir BhaiJi, gaining valuable experience and contributing to the ashram’s operations.
Badal, the middle child, displays a keen interest in computers and is actively involved in learning various aspects of ashram’s working. His enthusiasm for acquiring new skills is a testament to the positive impact of the ashram’s educational programs.
Deepali, the youngest, has flourished in her advanced yoga and cultural activities. All three siblings also participate in the ‘Mahakal Gatha,’ a cultural presentation, highlights their development and integration into the ashram’s vibrant community.
AnkitGram Sewadham Ashram is dedicated to taking in children who are left alone and whose lives are fraught with hardship. The story of Sumit, Badal, and Deepali exemplifies the transformative power of providing love, care, and a supportive environment. These children, once lost and in dire need, have found a nurturing home where their talents and potential are recognized and cultivated.
The success of these children is a reflection of the ashram’s commitment to not only providing shelter but also to offering a loving and supportive upbringing. The children’s affection for Sudhir BhaiJi, whom they call ‘Pitaji,’ and Kanta Ji, whom they refer to as ‘Ma,’ underscores the strong, familial bonds formed at the ashram. Their happiness and well-being are evident in their behavior and achievements.
The story of these three children serves as a powerful reminder of the critical role that institutions like AnkitGram Sewadham Ashram play in transforming lives. It is a call to society to step forward and assist in similar cases. By offering counselling and support to children in need and ensuring they have access to quality education, we can make a significant difference in their lives and, by extension, in the future of our country.
The potential of these children, and many like them, can be fully realized with the right support. Educational institutions and community members alike have a vital role to play in helping to shape their futures. The ashram’s success story illustrates the profound impact that love, care, and proper guidance can have, and it invites others to join in this noble effort to uplift and empower the next generation.
जीवन में बदलाव: अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम में तीन बच्चों की प्रेरणादायक यात्रा
5 जून 2015 की सुबह, अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम में तीन छोटे बच्चों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई। सुमित (10 वर्ष), बादल (6 वर्ष) और दीपाली (3 वर्ष) को बाल कल्याण समिति के आदेश और स्थानीय पुलिस की मदद से आश्रम में लाया गया। इनके जीवन की दास्तान, जो समाचार पत्रों में भी छपी थी, ने एक दुखद अतीत को उजागर किया।
ये बच्चे सड़क पर भिक्षवृत्ति करते हुए पाए गए थे, जो कई अज्ञात बच्चों की कठिन परिस्थितियों की एक तस्वीर पेश करता है। इनके अनुसार, इनकी माँ की मौत एक दर्दनाक हादसे में हुई थी, जिसमें पिता का बड़ा हाथ था। पिता का अत्यधिक नशा और चरित्रहीनता ने इन बच्चों को अत्यंत असुरक्षित स्थिति में छोड़ दिया था।
अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम में पहुँचने पर, इन बच्चों को प्रेम और देखभाल के साथ स्वागत किया गया। सुधीर भाईजी, कांता जी, गोरी और मोनिका की देखरेख में, बच्चों ने एक नई शुरुआत की। आश्रम के सभी कार्यकर्ताओं ने इसमें योगदान दिया, विशेष रूप से, यमुनाजी ने दीपाली, जो कि सबसे छोटी और एकमात्र लड़की थी, की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आश्रम का समग्र दृष्टिकोण बच्चों के लिए केवल आश्रय ही नहीं, बल्कि शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी प्रावधान करता है। यहाँ योग, हस्तशिल्प, और मल्लखंब जैसी गतिविधियाँ बच्चों की समग्र विकास को सुनिश्चित करती हैं।
सुमित, जो सबसे बड़ा है, आश्रम में कम्प्यूटर संबंधित कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और आश्रम की गतिविधियों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करता है। वह सुधीर भाईजी के साथ यात्रा भी करता है, जिससे उसे अनुभव मिलता है और आश्रम की कार्यों में योगदान होता है।
बादल, कंप्यूटर में गहरी रुचि दिखाता है और आश्रम के विभिन्न कार्यों को सीखने में सक्रिय रूप से शामिल है। उसकी नई क्षमताओं के प्रति उत्साह आश्रम की शैक्षिक कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।
दीपाली, सबसे छोटी, उन्नत योग और सांस्कृतिक गतिविधियों में निखरी है। तीनों भाई-बहन ‘महाकाल गाथा’ जैसे सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भाग लेते हैं, जो उनकी विकास और आश्रम के जीवंत समुदाय में एकीकरण को दर्शाता है।
अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम उन बच्चों को आश्रय प्रदान करता है जो अकेले रह जाते हैं और जिनकी ज़िंदगी कठिनाइयों से भरी होती है। सुमित, बादल और दीपाली की कहानी इस बात का उदाहरण है कि प्रेम, देखभाल और समर्थन का कितना गहरा असर हो सकता है। ये बच्चे, जो कभी खोए हुए और जरूरत में थे, अब एक ऐसा घर पा चुके हैं जहां उनके गुण और संभावनाओं को पहचान कर उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है।
इन बच्चों की सफलता आश्रम की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो केवल आश्रय ही नहीं, बल्कि प्रेम और समर्थन भी प्रदान करता है। बच्चों का सुधीर भाईजी को ‘पिताजी’ और कांता जी को ‘माँ’ कहकर पुकारना, आश्रम में बने मजबूत पारिवारिक बंधनों को दर्शाता है। उनकी खुशी और भलाई उनके व्यवहार और उपलब्धियों में स्पष्ट है।
इन तीन बच्चों की कहानी एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि संस्थाएँ जैसे अंकितग्राम सेवाधाम आश्रम जीवन में कितना बड़ा बदलाव ला सकती हैं। यह समाज से अपील करती है कि वे भी ऐसे मामलों में मदद के लिए आगे आएं। बच्चों को उचित सलाह और गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर हम उनके जीवन में और देश के भविष्य में बड़ा फर्क डाल सकते हैं।
इन बच्चों की संभावनाओं को सही समर्थन से पूरा किया जा सकता है। शैक्षिक संस्थान और समुदाय के सदस्य मिलकर उनके भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आश्रम की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि प्यार, देखभाल और सही मार्गदर्शन का कितना गहरा असर हो सकता है, और यह दूसरों को प्रेरित करती है कि वे इस नेक प्रयास में शामिल हों।