पीड़ित मानवता की सेवा को समर्पित ‘अंकित ग्राम’, सेवाधाम आश्रम परिसर स्थित सत्यवती महिला प्रकल्प में आश्रम संचालक सुधीर भाई गोयल, श्रीमती कांता भाभी, मोनिका दीदी एवं गोरी दीदी ने परम आराध्य प.पू. रणछोड़दासजी महाराजजी के चित्र के समक्ष विकास दीप प्रज्वलित कर आश्रम के बच्चों, युवाओं एवं बुजुर्गो ने पाद पूजन कर महाआरती की। इस अवसर पर सद्गुरू स्वाध्याय मंदिर ‘अर्पण कुटी’ में खास साज सज्जा की गई, सम्पूर्ण अर्पण परिसर को आश्रम की युवा टीम द्वारा सजाया गया। इस अवसर पर दृष्टिबाधित भोली अग्रवाल ने भजनों की प्रस्तुति दी एवं बच्चों ने गुरू वंदना कर सद्गुरूदेव को याद किया। 
सुधीर भाई ने परमपूज्य श्री रणछोड़दासजी महाराज के बारे में बताया कि कई शताब्दी पूर्व के एक ऐसे संत (गुरू भगवंत) हुए है जिनका सम्पूर्ण जीवन दीन-दुःखियों की सेवा को समर्पित रहा। सूखा, बाढ़, भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित मानवता को राहत पहुंचाने के लिए उन्होंने देश के अनेक भागों विशेषतः मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार और उड़ीसा में विशाल सेवा-शिविरों का आयोजन किया। इसके साथ ही पिछड़े अंचलों के दीन-साधनहीन लोगों को मोतियाबिन्द-जनित अंधत्व से मुक्ति दिलाने के लिए व्यापक पैमाने पर ‘‘नेत्र यज्ञों’’ का आयोजन किया। आज पूरे देश में अंधत्व निवारण का जो राष्ट्रीय कार्यक्रम चल रहा है, उसका बीजारोपण वस्तुतः उनके द्वारा वर्ष 1950 में, चित्रकूट में ‘‘तारा नेत्रयज्ञ’’ के रूप में हुआ। चित्रकुट और राजकोट में निरन्तर सद्गुरू के सेवा कार्यों को नित नया आयाम मिल रहा है। इन सेवा कार्यों के साथ-साथ पूज्य गुरूदेव ने पिछड़े क्षेत्रों के निर्धन लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाऐं प्रदान करने और उनके आर्थिक एवं आध्यात्मिक विकास हेतु कार्य करने के लिए अपने अनुयायियों को उत्प्रेरित किया। यह उनकी प्रेरणा का ही फल है कि आज देश के अनेक भागों में उनके अनुयायियों द्वारा गठित पारमार्थिक न्यासों (ट्रस्टों) के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक जागृति और आर्थिक विकास की अनेक गतिविधियाँ संचालित की जा रही है। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर महा प्रसादी का आयोजन भी किया गया।