सामाजिक जीवन को समर्पित एक संस्था थे ‘‘दादा कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ। 

– सुधीर भाई

 

 

हम सबके वरिष्ठ आशीर्वाददाता, प्रेरणापुंज, सदाशयता, सद्गुणों की खान, सदाचार जीवन और कठोरता में भी सरलता से सद्व्यवहार के साथ ही सविनयता के प्रतीक मेरे पिता तुल्य और मेरे अग्रज भ्रातृसम गांधीवादी, सर्वोदयी श्रद्धेय श्री कृष्ण मंगल सिंह कुलश्रेष्ठजी अब हमारे बीच नही रहे। यह निश्चित उज्जयिनी ही नही सम्पूर्ण मालवा के लिए दुख का समय है।
दादा से मेरा व्यक्तिगत परिचय लगभग 4 दशक से अधिक का था, मुझे आपके व्यक्तित्व और कृतित्व से हमेशा प्रेरणा मिली। मैं धन्य हूं कि मेरे पिता वरिष्ठ पत्रकार स्व.श्री सत्यनारायणजी गोयल के साथी मेरे पितृ तुल्य दादा कुलश्रेष्ठजी ने सदा सामाजिक जीवन में मेरा मार्गदर्शन किया। शुरूआती दिनों में जब मैं आपके पास गया और अपने सेवा कार्यक्रमों की जानकारी दी, आपके द्वारा और आपके संस्थान में आने वाले विशिष्ठजनों के साथ मुलाकात का प्रयत्न करता उस समय शायद वे मुझे अपने अंतरमन से पसंद नही करते होंगे किन्तु मैंने कभी आपका साथ और हाथ नही छोड़ा। आपके संस्थान में सर्वोदय का कार्यक्रम हो या डाॅ. सुमन स्मृति व्याख्यानमाला हो या सामाजिक सरोकार से जुड़े अन्य अवसर हो मेंने सदा उपस्थित रहने का प्रयत्न किया और दादा को शहर के दूरस्थ छोर पर स्थित अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम लाने का प्रयत्न किया। धीरे-धीरे उन्होंने यहां के कार्यों को देखा, सराहा और पुत्रवत प्रेम से अभिसिचिंत किया यह मैं कभी भूल नही सकता कि वे मेरे कार्यों में प्रभावित होकर सदैव आशीर्वाददाता के रूप में मेरे साथ खड़े रहे जो मेरे साथ वरिष्ठ होने की अनुभूति मुझे कराते थे। दादा के कारण ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री गजानन्दजी वर्मा, वरिष्ठ चार्टड अकाउंटेंट्स स्व. श्री अमृतलालजी जैन, इंजी. श्री प्रदीप जैन, शिक्षाविद् डाॅ. पुष्पा चैरसिया के परिचय में आया और उनका भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। प्रसिद्ध सर्वोदयी और गांधीवादी स्व. डाॅ. एस.एन. सुब्बारावजी से मेरी निकटता और सानिध्यता में भी दादा का बहुत बड़ा सहयोग और आर्शीवाद मिला। विनोबाजी के साथी श्री बालविजयजी, सुश्री निर्मला देशपाण्डे, महात्मा गांधीजी की पौत्री ईला गांधी, श्री अनिल लाल बहादुर शास्त्रीजी के साथ ही अनेक विभूतियों से दादा ने मेरा परिचय ही नही कराया अपितु कार्यो से भी अवगत कराया। उन्हें कुष्ठसेवा केन्द्र हो या सेवाधाम में आने हेतु प्रेरित किया। यह उनकी सरलता, सहजता, गांधीवादी विचारों का ही परिणाम है कि वे उनके सम्पर्क में आने वाले हर किसी व्यक्ति को अक्षम से सक्षम और योग्य बनाने की क्षमता रखते थे और उनमें इस प्रकार के गुणों को गढ़ते है जो सदा सामाजिक समरसता के लिए जीवन में बहुउपयोगी हो। मेरे पिताजी के मित्र और बाल्यकाल से ही आशीर्वाददाता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्री अवन्तिलालजी जैन के साथ भी अनेक बार सेवाधाम आश्रम में आए। डाॅ. एस.एन. सुब्बारावजी के साथ में भी आपका आगमन हुआ।
वे हमेशा आश्रम के विकास को देखकर प्रफुल्लित होते थे। कुलश्रेष्ठ दादा ने उज्जैन ही नही अपितु सम्पूर्ण मालवा को भारतीय ज्ञानपीठ जैसा उच्च गुणवत्ता वाला शैक्षणिक संस्थान देकर गौरवान्वित किया है जिसे आज दादा के मार्गदर्शन में परिजन अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर उसका उत्थान कर रहे है। श्रीमती कुलश्रेष्ठ (भाभी सा.) का भी ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ जो सच्चे अर्थों में गृहलक्ष्मी और जीवन संगिनी दोनों ही रूपों में दादा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहचर जीवन की प्रतीक रही और दादा के सामाजिक कार्यों में पूर्ण सहभागिता निभाती थी। अनेक शैक्षणिक, सामाजिक संस्थानों के प्रेरक स्वयं एक संस्था निहित हम सब के वयोश्रेष्ठ श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ के अमृत महोत्सव में भी सम्मिलित होने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था। आपका जीवन अनन्तकाल तक आपके द्वारा किए गए पुण्यशाली कार्यों को आने वाली पीढ़ियों के जीवन प्रेरणा देता रहेगा।
कुलश्रेष्ठजी के दिखाए गए सेवा पथ पर सम्पूर्ण परिवार अग्रसर है, वरिष्ठ पुत्र युधिष्ठिर कुलश्रेष्ठ, संदीप कुलश्रेष्ठ उनके द्वारा बताए गए सद्मार्ग पर चलते हुए उज्जयिनी का नाम गौरवान्वित कर रहे है। इस अवसर पर उनके पुत्र
स्व. संजीव कुलश्रेष्ठ को भी मैं नही भूला हूं वह हमेशा सेवाधाम के हित चिंतक रहे।
‘अंकित ग्राम’, सेवाधाम आश्रम परिवार अपने 700 + सदस्यों के साथ दिव्यात्मा-पुण्यात्मा द्वारा उनके जीवन में किए गए परोपकारी और सद्कार्यों का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते है। परमपिता परमात्मा से मृतात्मा की आत्मशांति और आपके परिवार के सभी स्नेहीजनों का इन अत्यंत दुःखद क्षणों में सम्बल प्रदान करने हेतु प्रार्थना करता है।
अंतिम संस्कार उज्जैन चक्रतीर्थ पर सम्पन्न…….
मेरे आत्मीय अग्रज दादा श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठजी की अंतिम यात्रा में शामिल होते हुए मेरा मन बहुत ही व्याकुल था एवं उनके अंतिम दर्शन कर परिजनों को ढांढंस बंधाया, वरिष्ठ पुत्र युधिष्ठिर, संदीप से मुलाकात कर शोक संवेदनाऐं प्रकट करते हुए उनके पुत्र स्व. संजीव कुलश्रेष्ठ को भी याद किया। बड़ी संख्या में परिजन, कायस्थ समाज के प्रमुख, शिक्षाविद्, समाजसेवियों की उपस्थिति में उज्जैन चक्रतीर्थ में विद्युत संस्कार किया गया। मैंने कभी नही सोचा था कि मेरे मार्गदर्शक और वरिष्ठ शिक्षाविद् की शोक सभा की अध्यक्षता करने का दिन भी देखने को मिलेगा, दादा का निधन दिनांक 09.05.2023 को निजी अस्पताल में अल्पाचार के दौरान हुआ था।

 

।। ऊँ शंतिः शंतिः शंतिः ।।
 आपका अपना
(सुधीरभाई गोयल)